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PM Narendra Modi के खिलाफ दूसरा अविश्वास प्रस्ताव, जानिए क्या होता है No Confidence Motion और कैसे करता है काम

No Confidence Motion Against PM Narendra Modi
Second No Confidence Motion Against Narendra Modi Government.

No Confidence Motion Against PM Narendra Modi: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से दूसरे अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी है. दरअसल, मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) पर लोकसभा में भारी हंगामे के बाद बुधवार को स्पीकर ने नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था, जिसे कांग्रेस (Congress) ने मणिपुर मुद्दे पर दबाव बनाने के लिए पेश किया था.

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा था. कांग्प्ररेस सांसद राहुल गांधी की दादी धानमंत्री इंदिरा गांधी को कुल मिलाकर, उन्हें 1966 और 1979 के बीच 15 अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा था. गौरतलब है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह 28वां अविश्वास प्रस्ताव होगा. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर अविश्वास प्रस्ताव है किया और यह कैसे काम करता है.

No Confidence Motion in India: भारत में अविश्वास प्रस्ताव भारत के संविधान (Indian Constitution) के तहत प्रदान की गई एक संसदीय प्रक्रिया है, जो लोकसभा (Loksabha) में सत्तारूढ़ सरकार द्वारा प्राप्त बहुमत समर्थन का परीक्षण करती है, जो भारतीय संसद का निचला सदन है. यह लोकसभा के सदस्यों को वर्तमान सरकार में विश्वास की कमी को व्यक्त करने की अनुमति देता है, और यदि प्रस्ताव सफल होता है, तो इससे सरकार का इस्तीफा हो सकता है. इसके बाद विपक्षी की सबसे बड़ी पार्टी को राष्ट्रपति की ओर से सरकार बनाने के लिए बुलाया जा सकता है. विपक्षी दल की ओर से बहुमत हासिल करने के बाद एक सरकार सत्ता में आ जाती है और अगर विपक्षी पार्टी भी बहुमत हासिल नहीं कर पाती है तो लोकसभा भंग हो सकती है और नए चुनाव बुलाए जा सकते हैं.

How the no-confidence motion works in India (भारत में अविश्वास प्रस्ताव इस प्रकार काम करता है): भारत में अविश्वास प्रस्ताव का प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(3) और अनुच्छेद 164(4) के तहत मौजूद है. यह इस पर निर्भर करता है कि यह केंद्र सरकार (संघ) या राज्य सरकारों (राज्य) से संबंधित है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा या राज्यों के विधानसभा में ही लाया जा सकता है. राज्यसभा (भारतीय संसद का ऊपरी सदन) राज्यसभा में नहीं लाया जा सकता है. इसके अलावा, किसी सरकार को कार्यभार संभालने के पहले छह महीनों के भीतर या विधायी निकाय का कार्यकाल समाप्त होने पर अविश्वास प्रस्ताव के अधीन नहीं किया जा सकता है.

Article 75(3) - No-Confidence Motion for Central Government-Union (अनुच्छेद 75(3) : केंद्र सरकार (संघ) के लिए अविश्वास प्रस्ताव): भारतीय संविधान का अनुच्छेद 75(3) संघ स्तर (केंद्र सरकार) पर मंत्रिपरिषद से संबंधित है. इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति की मर्जी तक पद पर बने रहेंगे. राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है और मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है. केंद्र सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद यदी सत्ता धारी दल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो प्रधानमंत्री सहित पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है.

Article 164(4) - No-Confidence Motion for State Governments-States (अनुच्छेद 164(4) : राज्य सरकारों (राज्यों) के लिए अविश्वास प्रस्ताव): भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164(4) राज्य स्तर (राज्य सरकारों) के मंत्रिपरिषद से संबंधित है. इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद राज्यपाल की मर्जी तक पद पर बने रहेंगे. राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्य की विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है. राज्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव राज्य विधानसभा में पेश किया जाता है. यदि अविश्वास प्रस्ताव उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से पारित हो जाता है, तो मुख्यमंत्री सहित पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है.

नोटः दोनों मामलों में अगर मौजूदा सरकार अविश्वास प्रस्ताव हार जाती है, तो राष्ट्रपति या राज्यपाल, जैसा भी मामला हो, विपक्ष के नेता या पार्टियों के सबसे बड़े गठबंधन के नेता को नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं. यदि किसी भी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो नए चुनाव बुलाए जा सकते हैं.

Process of No Confidence Motion: भारत में अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया संसदीय लोकतंत्र की एक मूलभूत विशेषता है, जो लोकसभा के सदस्यों को सत्तारूढ़ सरकार में अपने विश्वास की कमी को व्यक्त करने में सक्षम बनाती है. यह एक महत्वपूर्ण जांच और संतुलन तंत्र के रूप में कार्य करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकार लोगों के प्रतिनिधियों के प्रति जवाबदेह बनी रहे. अविश्वास प्रस्ताव निम्नलिखित प्रकार से काम करता है.

Filling the Motion (प्रस्ताव दाखिल करना): लोकसभा का एक सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को प्रस्ताव का नोटिस सौंपकर अविश्वास प्रस्ताव का प्रस्ताव करता है. नोटिस को वैध होने के लिए कम से कम 50 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए.

Notice (सूचना) :
जो सदस्य अविश्वास प्रस्ताव लाने का इरादा रखता है, उसे प्रस्ताव लाने का इरादा बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष या राज्य विधानसभा के अध्यक्ष/सभापति को एक लिखित नोटिस पहले से देना होता है.

Discussion and Voting (चर्चा और मतदान): अध्यक्ष प्रस्ताव की वैधता की जांच करता है और इसे एक निर्दिष्ट तिथि पर चर्चा के लिए लेने की अनुमति दे सकता है. चर्चा के दौरान, विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य प्रस्ताव पर बहस करते हैं, और प्रधान मंत्री या सरकार के एक प्रतिनिधि को जवाब देने का अवसर दिया जाता है. बहस के बाद प्रस्ताव पर वोट कराया जाता है.


Result (परिणाम) : अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने के लिए, इसे लोकसभा में उपस्थित और मतदान करने वाले अधिकांश सदस्यों द्वारा समर्थित होना चाहिए.

New Government Formation (नई सरकार का गठन):  सरकार के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति या राज्यपाल विपक्ष के नेता या पार्टियों के सबसे बड़े गठबंधन के नेता को नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं. यदि किसी भी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो नए चुनाव बुलाए जा सकते हैं.

History of No-Confidence Motions (भारत में अविश्वास प्रस्ताव का ऐतिहास): भारत में अविश्वास प्रस्तावों का इतिहास देश की संसदीय शासन प्रणाली से गहराई से जुड़ा हुआ है. 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत ने संसदीय लोकतंत्र को अपनाया. सरकार में पारदर्शिता, जवाबदेही और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अविश्वास सं संबंधित अनुच्छेद को को भारतीय संविधान में शामिल किया गया था. भारत में अविश्वास प्रस्तावों के संक्षिप्त इतिहास निम्न लिखित है.

First No-Confidence Motion (पहला अविश्वास प्रस्ताव): स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहला अविश्वास प्रस्ताव 21 अगस्त, 1963 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ लाया गया था, लेकिन ये प्रस्ताव गिर गया था.

Successful No-Confidence Motion (सफल अविश्वास प्रस्ताव): भारत में पहला सफल अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई, 1969 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ लाया गया था. प्रस्ताव को 352 सदस्यों ने समर्थन दिया, जिससे सरकार गिर गई थी.

Most No-Confidence Motions (सर्वाधिक अविश्वास प्रस्ताव): प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपने कार्यकाल के दौरान सबसे अधिक अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा था. कुल मिलाकर, उन्हें 1966 और 1979 के बीच 15 अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा.

Recent No-Confidence Motion (हालिया अविश्वास प्रस्ताव): सबसे हालिया अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ लाया गया था. प्रस्ताव गिर गया था, क्योंकि सरकार को 325 सदस्यों का समर्थन प्राप्त हुआ था, जबकि 126 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था.

First Successful No-Confidence Motion in the 21st Century (21वीं सदी में पहला सफल अविश्वास प्रस्ताव): 21वीं सदी में पहला सफल अविश्वास प्रस्ताव 17 अप्रैल, 1999 को प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के खिलाफ लाया गया था. प्रस्ताव को 273 सदस्यों ने समर्थन दिया, जिससे सरकार गिर गई.

गौरतलब है कि आमतौर पर विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव को सरकार के खिलाफ असंतोष व्यक्त करने और सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए शक्तिशाली उपकरण के तौर पर इस्तेमाल करता है. आम तौर पर अविश्वास प्रस्ताव से सरकारें गिरती नहीं है, क्योंकि सरकारें आम तौर पर लोकसभा में स्थिर बहुमत बनाए रखती हैं, और सफल अविश्वास प्रस्ताव दुर्लभ ही होते हैं.(इसके तरह के और भू मुद्दे पर विस्तृत जानकारी से भरपूर ब्लॉग पढ़ने के लिए कमेंच करें.)

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