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इन्हें क्यों न बनाया जाए प्रधानमंत्री उम्मीदवार?

 मोहम्मद इफ्तेखार अहमद,

चार राज्यों में कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस बयान के बाद कि 2014 लोकसभा चुनाव के लिए सही समय पर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया जाएगा। इस खबर के आते ही राजनीतिक पंडितों के बीच कांग्रेस पार्टी की ओर से भावी प्रधानमंत्री के नाम को लेकर अटकलें तेज हो गई है। प्रियंका गांधी, नंदन नीलेकणि, मीरा कुमार, सुशील कुमार शिंदे और पी. चिदम्बरम के नाम की चर्चा चरम पर है। लेकिन, इन सबके बीच एक ऐसे शख्स के नाम की चर्चा नहीं हो रही है, जो हर ऐतबार से मोदी के खिलाफ फिट बैठते हैं। ये प्रधानमंत्री के सलाहकार, राष्ट्रीय नवाचार परिषद के अध्यक्ष और 2005 से 2009 तक ज्ञान आयोग के अध्यक्ष रहने के साथ ही गांधी परिवार के करीबी भी है। उनके नाम पर 100 से ज्यादा तकनीकी नवाचार का पेटेंट है। उन्होंने राजीव गांधी के सलाहकार रहते देश में आईटी की बुनियाद रखी थी। मोबाइल क्रांति का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। मोदी की ओबीसी के जवाब में ये ओबीसी भी है। कथित रूप से बेदाग छवि वाले के मोदी के खिलाफ ये पूरी तरह बेदाग चेहरा है। मोदी के विकास पुरुष के सामने इनकी छवि देश में आईटी क्रांति और मोबाइल क्रांति के प्रणेता की है। जो युवाओं के बीच मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के बीच ये प्रत्याशी हर पढ़े लिखे युवाओं की पहली पसंद बन जाएंगे। मोदी के उद्योग प्रेम के जवाब में इनके नाम से उद्योगोंपतियों को कोई आपत्ति नहीं होगी। वह गुजराती मोदी के जवाब में गुजराती भी हैं। वे ओडिशा के निवासी है, लेकिन उनके पिता गुजरात के रहने वाले थे। ऐसे में ओडिशा और गुजरात जहां काग्रेस काफी कमजार हैं, वहां भी पार्टी को फायदा हो सकता है.वहीं, चाय वाले के जवाब में ये लोहार का बेटा भी आमआदमी को काफी हद सक प्रभावित कर सकता है।
    राहुल गांधी काफी पहले ही अपने मंच पर बिठाकर उन्हें लोहार जाति से उठकर सफलता की इबारत लिखने पर प्रशंसा कर चुके हैं। हाल ही में वे (...) खुद कह चुके हैं कि देश का प्रधानमंत्री ऐसा होना चाहिए, जिसके पास वैश्विक सोच हो। वह 1992 में संयुक्त राष्ट्र में सलाहकार भी रह चुके हैं। लिहाजा इस पर भी वे खड़े उतरते हैं। ये शख्स अपनी साफ छवि से ने सिर्फ मोदी को टक्कर देने में सफल साबित होंगे, बल्कि, केजरीवाल की धार को भी कुंद करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इतना लिखने के बाद तो समझ में आ ही गया होगा कि हम किसके बारे में बात कर रहे हैं। अब भी अगर नहीं मझ पाए हैं तो लीजिए उनका नाम है सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा (सैम पित्रोदा)। पित्रोदा को आमजनमानस भले ही नरेन्द्र मोदी की तरह नहीं जानते हों, लेकिन उनकी जो उपलब्धियां और अन्तरराष्ट्रीय जगत में जो पहचान हैं उनके आगे मोदी का टिक पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी लगता है। अगर समय रहते उन्हें प्रोजेक्ट कर दिया गया तो मास-मीडिया और सोशल मीडिया के इस दौर में जनजन के मन में भी जहग बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।  अगर ऐसा हुआ तो आवश्य ही देश को मिल सकता है लोहार जाति का पहला प्रधानमंत्री।

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