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BJP: बीजेपी के नाम भारतीय मुसलमानों का पत्र

मननीय राजनाथ सिंह जी, नरेन्द्र मोदी जी, लाल कृष्ण आडवाणी जी, सुषमा स्वराज जी, अरुण जेटली जी और मुख्तार अब्बास नकवी साहब,

Indian Muslims: मुसलमनों के बीजेपी को समर्थन देने के संबंध में जब देश के मुसलमानों से बात-चीत करता हूं तो भाजपा से जुड़े जो चंद सवाल उभर कर सामने आते हैं. वह आपके सामने रख रहा हूं. ये हिम्मत भी इस लिए हुई, क्योंकि आपने (राजनाथ सिंह जी) मुसलमानों के बीच जाकर कहा है कि आप हमें सत्ता में पहुंचाहिए, अगर हम सत्ता में आएंगे तो आप को कोई खतरा नहीं होगा. अगर हमसे पूर्व में कोई गलती हुई है तो हम सिर झुकाकर मांफी मांगते हैं. ये सच है कि भारतीय मुसलमानों ने बीजेपी से अपना जुड़ाव कभी नहीं महसूस किया. उल्टे बीजेपी के नाम से ही मुसलमानों में खौफ का साया छा जाता है. हो सकता है कि इसके लिए आप कांग्रेस के प्रोपेगेंडो को जिम्मेदार ठहराए. लेकिन सच्चाई ये है कि मुसलमानों के पास बीजेपी के प्रति जो धारना है उसके लिए उनके पास ठोस आधार है. जब उनसे बात की जाती है तो कुछ ऐसे सवाल पूछ बैठते हैं कि अच्छे-अच्छों को जवाब देने में पसीना छूट जाए. प्रस्तुत है इन्हीं सवालों में से कुछ सवाल, जिनका जवाब आप लोगों से अपेक्षित है. यहां पर सवाल के बाद मैं खाली स्थान भी छोड़ूंगा और उम्मीद करुंगा कि आप लोग इन सवालों का उत्तर देकर मुसलमानों के बीच भारतीय जनता पार्टी के प्रति जो धारना मौजूद है उसे खत्म किया जाए. इन प्रश्नों के उत्तर दिए बिना बीजेपी के लिए मुसलमानों के बीच पैठ बनाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी लगता है. जब भारत का मुसलमान हिन्दू लीडरशिप होने के बावजूद दूसरी पार्टियों को वोट देते आए हैं, कई गुमनाम हिन्दू नेताओं को मुसलमानों ने रातों रात रा।ष्ट्रीय नेता बना दिया तो भला बीजेपी से मुसलमानों को क्यों परहेज होगा? भारतीय मुसलमान तो स्वभाव से सेक्यूलर भी है. ये वहीं मुसलमानों है, जिन्होंने आजादी के वक्त मुस्लिम लीग के मुस्लिम नेताओं के स्थान पर महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू जैसे हिन्दू नेताओं को अपना रहनुमा तस्लीम किया. अटल बिहारी वाजपेयी भी लखनऊ की मुस्लिम बाहुल सीट से प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. लिहाजा, अगर आप इन प्रश्नों के जवाब नहीं देंगेतो इसे चुनावी स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं समझा जाएगा.

प्रश्न न.-1 सच्चर कमिटी की रिपोर्ट बताती है कि देश में आजादी के 6 दशक बाद भी मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर हैं. जब रिपोर्ट आई तो आप लोगों ने मुसलमानों के इस हालत के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया, क्योंकि इस दौरान ज्यादातर समय कांग्रेस पार्टी  ही सत्ता में थी.. लेकिन ये तो बताइए कि विपक्ष की भी कोई भूमिका होती है लोकतंत्र में? आप लोगों ने क्या कभी सड़क से लेकर संसद तर कभी मुसलमानों से जुड़े मु्द्दे को उठाने की कोशिश की? सच्चर कमिटी की रिपोर्ट जब आई तो आपने (राजनाथ सिंह) ने बीजेपी के लखनऊ अधिवेशण में ये कहकर देशभर के मुसलमानों को गाली दी कि केन्द्र सरकार दाऊद के बेटों को आरक्षण देने की तैयारी कर रही है. क्या विपक्ष की यही भूमिका होती है? अगर देश के एक तबके के साथ नाइंसाफी हुई है तो उसे इंसाफ दिलाने के लिए आप लड़ते, लेकिन आपने मुसलमानों की हालत सुधारने की पहल पर हंगामा खड़ा किया और मुसलमानों को गालिया दी. ऐसा क्यों?

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प्रश्न न.-2 सच्चर कमिटी की अनुशंसा पर शुरू की गई प्री-मैट्रिक स्कालरशिप को देश के सभी राज्यों ने लागू किया है।. लेकिन, आपके प्रधानमंत्री के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक आयोग, योजना आयोग, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अनुरोध और गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी इसे लागू नहीं किया. जो संविधान का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है, क्योंकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में आता है और इस पर केन्द्र और राज्य दोनों को नियम बनाने का अधिकार है. लिहाजा केन्द्र की योजना को लागू  नहीं करना मोदी की ताना शाही रवैये को दिखाता है. मोदी की इस तानाशाही के कारण गुजरात में हजारों बच्चे बीच में बढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं. क्या आप अपने नेता के इस कृत के लिए हजारों गरीब बच्चों से मांफी मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेंगे?

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प्रश्न न.-3ः भारत भारतीयों ( हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी, बौध्द, जैन आदिवासी व अन्य) का देश है. भारत का निर्माण इजरायल के तौर पर किसी एक धर्म के लोगों के लिए नहीं किया गया है. लेकिन आप लोगों के प्रैक्टिकल आचरण में भारत का इजरायली माडल दिखता है. देश में जब किसी दूसरे देश बांग्लादेश, पाकिस्तान, तिब्बत और नेपाल से जब हिन्दू या बौध्द घुस आता है तो आप लोगों को तकलीफ नहीं होती है. उन्हें रोकने की कोशिश नहीं होती है, बल्कि आश्रय दिया जाता है. उनके लिए नागरिकता की मांग की जाती है. सिर्फ बांग्लादेश और म्यांमार के रोटी-रोटी को मोहताज मुसलमानों के आने पर ही तकलीफ क्यों होती है? धर्म के आधार पर घुसबैठियों में अंतर क्यों? जबकि सच्चाई तो ये है कि इस ओवरपापुलेटेड देश में अपनी आबादी को संभालना ही मुश्किल हो रहा है. 

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प्रश्न न.-4 जब पाकिस्तान या बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार होता है तो आप लोग देशभर में प्रदर्शन करते हैं. सरकार से उन देशों में दखल की मांग करते हैं. लेकिन जब अपने ही देश में मुसलमानों की इज्जत तार-तार होती हैं उनके घर जलाए जाते हैं और कत्ल-ए-आम होता है तो कभी भी इस हिंसा के खिलाफ आप लोगों के जुबानें नहीं खुलती है. हिंसा को रोक पाने में विफल रहने वाले मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री बनने का आर्शिवाद दिया जाता है? इससे तो यही पता चलता है कि आप लोगों को दुनिया भर में बसे हिन्दुओं की चिन्ता तो हैं, लेकिन अपने ही देश के मुसलमानों की नहीं है? यानी आप न सिर्फ इंसान बल्कि अपने नागरिकों में भी भेद करते हैं. आपके जिन विधायकों पर मुजफ्फरनगर में हिन्सा को हवा देने का आरोप है, उसे आप लोग मंच पर बिठाकर इस बहादुरी के लिए सम्मान कर दुखी और मजलूम मुसलमानों के जख्मों पर नमक क्यों छिड़कते हैं?

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प्रश्न न. 5. आतंवाद देश के लिए नासूर बन चुका है. इसके खिलाफ एक नीति एक रणनीति होनी चाहिए. तभी हम इसका मुकाबला कर सकते हैं. लेकिन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी आपका दोहरा चरित्र सामने आता है. यहां पर भी आप लोग मजहबी रंग देखकर मुसलमानों द्वारा प्रायोजित आतंकवात की निंदा और हिन्दू आतंकवाद को प्रोत्साहन देते हैं. या फिर चुप्पी साध लेते हैं. यूं तो भारतीय मुसलमानों का आतंकवाद से दूर-दूर तक का नाता नहीं रहा है. भारत का मुसलमान आतंकवाद से कितनी घृणा करता है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 26-11 मुम्बई हमले के दौरान जो मुस्लिम आतंकी मारे गए भारत के मुसलमानों ने उनकी नमाज-ए-जनाजा भी नहीं पढ़ी. लेकिन जब संघ के जूड़े लोग आतंकी घटना (समझौता एक्स. मालेगांव, मक्का मस्जिद और अजमेर ब्लास्ट) में पकड़े जाते हैं तो आप कानून अपना काम करेगा कहने के बजाए दुर्भाग्यवश आप उन्हें बचाने के लिए मुहिम शुरू करते हैं और केन्द्र सरकार पर दबाव भी बनाते हैं. आप लोग सिर्फ किसी आतंकवादी के इस्लाम धर्म का अनुयायी होने मात्र से भारत के पूरे मुसलमानों के राष्ट्र प्रेम को कठघरें में खड़ा कर देते हैं. जब कोई हिन्दू आतंक के आरोप में पकड़ा जाता हैं तो आप (राजनाथ जी ) उनसे (प्रज्ञा ठाकर) से मिलने जेल में जाते हैं. एक ही आरोप के दो धर्मां के गुनहगारों के साथ दोहरा व्यवहार क्यों? क्यो इस तरह के आचरण से आप देश को आतंकवाद से बचाएंगे या आतंकवाद के दलदल में झोकेंगे?

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प्रश्न न. 6.
मुस्लिम आतंकवादी (अफजल गुरु और कसाब) के फांसी में देरी होने पर खूब राजनीति होती है. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी और पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों को दो-दो दशक तक जेल में बिरयानी खिलाने पर आप कभी इसे राजनीति का मुद्दा क्यों नहीं बनाते हैं।? '(अफजल गुरु और कसाब दोनों नामों का उल्लेख उनसे लगाव या हमदर्दी जताने के लिए नहीं किया गया है. ये सिर्फ सिध्दांत बताने और उदाहरण देने के लिए किया गया है.) यह बताने के लिए किया गया है कि बीजेपी के बारे में मुसलमानों की धारना है कि ये आतंकवाद के खिलाफ नहीं है. ये मुसलमानों के खिलाफ है. अगर आतंक के खिलाफ होती तो राजीव और इंदिरा के हत्यारों के खिलाफ भी उसी तरह आवाज बुलंद करती जैसा कि अफजल और कसाब के मामलों में किया. लेकिन ऐसा नहीं करके बीजेपी ने जता दिया कि वह सिर्फ उसी आतंकवादी का विरोध करेगी, जिसके नाम से मुसलमान होना साबित होता हो. और लोगों का यही सवाल है कि एक अपराध के अलग-अलग धर्मों के अपराधी पर अलग-अलग रवैया क्यों अपनाती है बीजेपी?

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प्रश्न न. 7. देश के मुसलमान मानते हैं कि क्रिया और प्रतिक्रिया के सिध्दांत पर भी बीजेपी का दोहरा रवैया है? आप लोक गोधरा दंगा को जायज ठहराने के लिए कहते हैं कि ये तो क्रिया (साबरमती एक्स. अग्निकांड) की प्रतिक्रिया थी. यानी हजारों लोगों की हत्यारों के गुनाह को कम करके आंकने का प्रयास किया जाता है. लेकिन, जब बाबरी मस्जिद गिराने और देशभर में फैली हिंसा की प्रतिक्रिया में मुम्बई में बलास्ट होता है तो उसके कर्ता-धर्ता आतंकी हो जाते हैं. ये दोहरा पैमाना क्यों? मुसलमानों का आरोप है कि देश में आतंकवाद का बीजारोपण संघ परिवार के लोगों ने किया. क्योंकि भारतीय मुसलमानों का आतंकवाद से दूर-दूर तक का नाता नहीं रहा है. अगर 1992 तक का इतिहास देखें तो कश्मीर को छोड़कर शायद ही किसी भारतीय शहर में कभी आंतकी घटनाएं हुई हो. लेकिन, लालकृषण आडवाणी कीे रथ यात्रा और बाबरी मस्जिद गिराने के बाद देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा. हजारों लोगों के अपने हमेशा-हमेशा के लिए जुदा हो गए. घर और दुकानें तबाह हो गई. लेकिन, आप लोगों की निगाह में लालकृष्ण आडवाणी जी एक मसीहा हैं? और इसकी प्रतिक्रिया में मुम्बई में हमला करने वाला आतंकी हो गया. और होना भी यही चाहिए. वहीं, देश में जो विध्वंस हुआ उसके सबसे बड़े गुनहगार आडवाणी जी उप प्रधानमंत्री बनते हैं. जबकि सारा विध्वंश उनके कारनामों के कारण ही हुआ. अगर हम क्रिया और पर्तिक्रिया के बहाने इसी तरह कातिलों को बचाते रहेंगे तो क्या क्रिया और प्रतिक्रिया का सिलसिला देश के पूरी तरह जलने तक कभी रुक पाएगा? 

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प्रश्न न. 8 आप मुसलमानों के तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं. लेकिन क्या आपके जो नेता वेदांती, योगी आदित्यनाथ और प्रेम शर्मा जो हर वक्त मुसलमानों की कब्र खोदने के लिए तैयार रहते हैं. क्या आप उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई करेंगे? और जो गुजरात के जो नेता दंगों में संलिप्त पाए गए हैं उनसे नाता तोड़ेंगे?

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प्रश्न न. 9 आप जिस संगठन (आरएसएस) से वैचारिक मदद लेते हैं. उसकी उत्पत्ति ही मुस्लिम विरोध के आधार पर हुई है. तो फिर आप मुसलमानों के हितैषी कैसे हो सकते हैं?

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प्रश्न न. 10. अगर विदेश नीति की बात की जाए तो .यहां पर भी आप लोगों की सोच में अदूरदर्शिता और इस्लाम और मुस्लिम विरोधी कट्टर सोच साफ झलकती है. चीन अपनी पर्ल नीति के आधार पर अपने सारे पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालद्वीप और श्रीलंका के साथ रिश्ते सुदृढ़ कर रहा है और भारत चारों ओर से घिरता जा रहा है. चीन के भी एक मुस्लिम बाहुल प्रांत में अशांति है, लेकिन इसका असर उसके विदेश नीति पर नहीं पढ़ता है. वह पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालद्वीप जैसे इस्लामिक देशों से रिश्ते मजबूत करने में लगा है. लेकिन, बीजेपी की नीति हमेशा आतंकवाद के नाम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम राष्ट्रों के साथ दुष्प्रचार की रहती है. जिसके कारण पड़ोसियों से रिश्ते खराब होते हैं. आप लोग लगभग डेढ़ अरब की आबादी और 65 मुस्लिम देशों को छोड़कर चंद लाख की आबादी वाले इजरायल के हितैषी बनकर आखिर किया साबित करना चाहते हैं? ये आज के बाजारवाद के दौर में तो ये आर्थिक रूप् से भी मुकसान का सौदा है. नेपाल, भूटान और तिब्बत के प्रति उदारता समझ मंे आती है, लेकिन इजरायल के प्रति उदारता तो मुस्लिम विरोध के इलावा कुछ भी नहीं है? राष्ट्र से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों के खिलाफ दुश्प्रचार के बाद भला कोई कैसे बीजेपी से अपना जुड़ाव महसूस करेंगा ?  

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प्रश्न न. 11 आप मुसलमानों से वोट तो मांग रहे हैं लेकिन, उचित अनुपात में मुसलमानों को टिकट क्यों नहीं देते हैं.?
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प्रश्न न. 1२ भारतीय मुसलमानों के लिए आपके पास किया कार्य योजना है? 
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प्रश्न न. 1३ क्या आप सत्ता मे आने के बाद दंगारोधी विधेयक पारित कराएंगे?
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प्रश्न न. 14 क्या सत्ता में आने के बाद आप फास्ट ट्रैक अदालत बनाकर सालों से जेलों में पड़े मुस्लिम नौ जवानों की रिहाई का रास्ता साफ करेंगे? और उन्हें जबरन फंसाने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्र वाई करेंगे? 
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बीजेपी देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी और मुसलमान देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है. लिहाजा दोनों के बीच दूरी ठीक नहीं है. बीजेपी ने मुसलमानों की ओर हाथ बढ़ाई है तो मुसलमानों को भी अपना हाथ बढ़ाना चाहिए. कब तक ये दोनों एक दूसरे को अछूत समझते रहेंगे. इसी कोशिश के तहत लोगों के मन को जब टटोला तो ये प्रश्न निकलकर मामने आए. जब लोगों के मन में ये सवाल है तो उसे बाहर भी निकाला जाए. संवाद से लोकतंत्र को मजबूती मिलती है और संवादहीनता से हिंसा और आतंकवाद को. इसीलिए मुझे लगा कि इन प्रश्नों को बीजीपी और उन लोगों तक जो हमेशा पूछते हैं कि आखिर मुसलमान बीजेपी से दूरी क्यों बनाते हैं? तक पहुंचाया जाए, ताकि ये मुसलमानों के इन सवालों का उचित जवाब देकर गलतफहमी दूर कर एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करे.मुझे उम्मीद है कि अगर आप ने इन सवालों के तसल्लीबख्स जवाब दे दिए तो अगर आप मुसलमानों की ओर हाथ बढ़ाएंगे तो मुसलमान आप को गले लगाएंगे.

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